बच्चे के लिए अमृत होता है मां का दूध

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के सामान है। मां का दूध नवजात बच्चे के लिए एक पूर्ण आहार है। मां का दूध नवजात शिशु में एंटीबॉडी को बढ़ाता है जो नवजात शिश को इंफेक्शन से बचाता है। मां का दूध एक जटिल, जीवित पदार्थ है जिसमें कई रोगों से लड़ने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले तत्व मौजूद होते हैं। यह एक पूर्ण शिशु सहायता प्रणाली है जो पोषण और सुरक्षा दोनों प्रदान करती है। मां की इम्यूनिटी प्रणाली इन एंटीबॉडी को बनाती है और वे लगातार अनुकूलन रहते हैं। अब तक की गई रिसर्च बताती है कि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। स्तनपान के कईं तरह के लाभ हैं। इन लाभों के स्थायी प्रभाव होते हैं जो स्तनपान वाले बच्चे और उसकी मां को जीवन भर बेहतर स्वास्थ्य का बढ़ावा देते हैं।

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के तुल्य है, क्योंकि उसमें सभी अमीनो एसिड उपलब्ध होते हैं, जो शिशु के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं। मां के दूध में सभी पोषक तत्व सरल रूप से उपस्थित होते हैं, जो शिशु के शरीर में पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाते हैं। शिशु को जन्म से 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही दें। बच्चे को दूध पिलाने वाली माता का आहार खूब पौष्टिक होना चाहिए। उसमें किसी किस्म की रोकटोक नहीं लगाना चाहिए। जन्म लेते ही शिशु स्तनपान प्रारंभ कर देता है। गर्भवती महिला को गर्भ के अंतिम महीनों से ही आहार में अधिक कैलोरी, प्रोटीन और वसा बढ़ा देना चाहिए। इससे माता के शरीर में दूध उचित मात्रा में बनता है। नवजात शिशु के समुचित विकास के लिए माता का दूध सर्वोत्तम आहार है। जिन नवजात शिशुओं के दैनिक भोजन के खुराक में कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा मां का दूध शामिल होता है, उनके मस्तिष्क के उत्तकों और इसके (मस्तिष्क के) बाहरी आवरण क्षेत्र का विकास कम स्तनपान करने वाले नवजात शिशुओं की तुलना में बेहतर होता है।

समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध बेहत जरूरही है। ऐसे जन्मे बच्चों का दिमाग आमतौर पर पूरी तरह विकसित नहीं होता। मां का दूध शरीर के अन्य अंगों के विकास में मददगार होता है। मां का दूध समय पूर्व जन्मे बच्चों के लिए सबसे अच्छा आहार है। डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट फीडिंग से बिल्कुल नहीं हिचकना चाहिए। स्तनपान से मां और बच्चे से बॉन्डिंग डेवलप होती है और बच्चे के प्रति मां का लगाव बढ़ता है। प्रेग्नेंसी के समय मां का बढ़ा वजन ब्रेस्ट फीडिंग से कम होता है। इसके साथ स्तनपान कराने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।

स्तनपान से मां और बच्चे के बीच डेवलप होती है बॉन्डिंग

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के सामान है। मां का दूध नवजात बच्चे के लिए एक पूर्ण आहार है। मां का दूध नवजात शिशु में एंटीबॉडी को बढ़ाता है जो नवजात शिश को इंफेक्शन से बचाता है। मां का दूध एक जटिल, जीवित पदार्थ है जिसमें कई रोगों से लड़ने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले तत्व मौजूद होते हैं। यह एक पूर्ण शिशु सहायता प्रणाली है जो पोषण और सुरक्षा दोनों प्रदान करती है। मां की इम्यूनिटी प्रणाली इन एंटीबॉडी को बनाती है और वे लगातार अनुकूलन रहते हैं। अब तक की गई रिसर्च बताती है कि स्तनपान करने वाले बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। स्तनपान के कईं तरह के लाभ हैं। इन लाभों के स्थायी प्रभाव होते हैं जो स्तनपान वाले बच्चे और उसकी मां को जीवन भर बेहतर स्वास्थ्य का बढ़ावा देते हैं।

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के तुल्य है, क्योंकि उसमें सभी अमीनो एसिड उपलब्ध होते हैं, जो शिशु के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं। मां के दूध में सभी पोषक तत्व सरल रूप से उपस्थित होते हैं, जो शिशु के शरीर में पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाते हैं। शिशु को जन्म से 6 महीने तक सिर्फ मां का दूध ही दें। बच्चे को दूध पिलाने वाली माता का आहार खूब पौष्टिक होना चाहिए। उसमें किसी किस्म की रोकटोक नहीं लगाना चाहिए। जन्म लेते ही शिशु स्तनपान प्रारंभ कर देता है। गर्भवती महिला को गर्भ के अंतिम महीनों से ही आहार में अधिक कैलोरी, प्रोटीन और वसा बढ़ा देना चाहिए। इससे माता के शरीर में दूध उचित मात्रा में बनता है। नवजात शिशु के समुचित विकास के लिए माता का दूध सर्वोत्तम आहार है। जिन नवजात शिशुओं के दैनिक भोजन के खुराक में कम से कम 50 प्रतिशत हिस्सा मां का दूध शामिल होता है, उनके मस्तिष्क के उत्तकों और इसके (मस्तिष्क के) बाहरी आवरण क्षेत्र का विकास कम स्तनपान करने वाले नवजात शिशुओं की तुलना में बेहतर होता है।

समय पूर्व जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध बेहत जरूरही है। ऐसे जन्मे बच्चों का दिमाग आमतौर पर पूरी तरह विकसित नहीं होता। मां का दूध शरीर के अन्य अंगों के विकास में मददगार होता है। मां का दूध समय पूर्व जन्मे बच्चों के लिए सबसे अच्छा आहार है।

डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट फीडिंग से बिल्कुल नहीं हिचकना चाहिए। स्तनपान से मां और बच्चे से बॉन्डिंग डेवलप होती है और बच्चे के प्रति मां का लगाव बढ़ता है। प्रेग्नेंसी के समय मां का बढ़ा वजन ब्रेस्ट फीडिंग से कम होता है। इसके साथ स्तनपान कराने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।

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